Monday 15 January 2018

पीलिया का घरेलु उपचार/इलाज (Piliya ka Gharelu Upchar)

पीलिया क्या है?
आप एक खुश और स्वस्थ जीवन चाहते हैं, तो अपने लिवर को स्वस्थ रखें, शराब से दूर रहें, सरल आहार का पालन करें और पीलिया के लिए जीवनशैली में परिवर्तन करें। पीलिया और अन्य लिवर विकारों से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेदिक उपचार का सहारा लें। 

रक्त में लाल कणों की आयु 120 दिन होती है। किसी कारण से यदि इनकी आयु कम हो जाये तथा जल्दी ही अधिक मात्रा में नष्ट होने लग जायें तो पीलिया होने लगता है। रक्त में बाइलीरविन नाम का एक पीला पदार्थ होता है। यह बिलीरुबिन लाल कणों के नष्ट होने पर निकलता है तो इससे शरीर में पीलापन आने लगता है। जिगर के पूरी तरह से कार्य न करने से भी पीलिया होता है। पत्ति जिगर में पैदा होता है। जिगर से आंतों तक पत्ति पहुंचाने वाली नलियों में पथरी, अर्बुद (गुल्म), किसी विषाणु या रासायनिक पदार्थों से जिगर के सैल्स में दोष होने से पत्ति आंतों में पहुंचकर रक्त में मिलने लगता है। जब खून में पत्ति आ जाता है, तो त्वचा पीली हो जाती है। त्वचा का पीलापन ही पीलिया कहलाता है।         
                                      पीलिया जिगर का विकार है, जिसके कारण त्वचा और आंखों का रंग पीला हो जाता है। हालांकि पीलिया के मामले में दवा महत्वपूर्ण है परंतु अपनी जीवन शैली में परिवर्तन और उचित आहार के सेवन से इस विकार से निजात पाया जा सकता है। 
                              
पीलिया के कारण - Jaundice Causes
पीलिया रोग मुख्यतः जब यकृत में से निकलने वाली पित्तवाहिनी के संगम स्थान पर रूकावट होने से पित्त पित्ताशय में न जाकर खून में मिल जाता है, तब यह रोग हो जाता है। इसके अतिरिक्त जिनके पेट और यकृत की अग्नि बिगड़ी रहती है और जो खट्टे, उष्ण, चटपटे तथा पित्त को बढ़ने वाले अन्य आहार का अधिक सेवन करते है उनका पित्त बढ़ जाता है, फिर यह रोग सामने उभर आता है।
                पीलिया का कारण बिलीरुबिन नामक पदार्थ है जिसका निर्माण शरीर के ऊतकों और रक्त में होता है। जब लिवर में लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं, तब पीले रंग का बिलीरुबिन नामक पदार्थ बनता है। जब किसी परिस्तिथि के कारण यह पदार्थ रक्त से लिवर की ओर और लिवर द्वारा फिल्टर कर शरीर से बाहर नहीं जा पाता है, तो पीलिया होता है। अगर रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा 2.5 से ज्यादा हो जाती है तो लिवर के गंदगी साफ करने की प्रक्रिया रुक जाती है और इस वजह से पीलिया होता है। 

पीलिया के लक्षण

पीलिये का सबसे बड़ा लक्षण है त्वचा और आँखों के सफेद हिस्सों का पीला हो जाना। इसके अलावा, पीलिया के लक्षणों में बुखार रहना, चक्कर आना, आँखों का पीला दिखना/होना, आँखों के आगे अँधेरा छाना, शरीर का पीला होना, पेशाब पीला होना, जीभ पर अंकुर से दिखाई देना, भूख न लगना, पेट में दर्द होना, कई बार शरीर में खुजली होना, हाथ पैरों का टूटना/अकड़ना, पेट में अफारा/गैस होना, शरीर से दुर्गन्ध आना, मुह का कड़वा होना, दिन पर दिन दुर्बलता बढ़ती जाना। रोग की अति उग्रावस्था सारे शरीर को हल्दी के समान पीली कर देती  है। इसमें जिगर, तिल्ली, पित्ताशय, आँते, आमाशय, स्वभाविक रूप से प्रभावित होते है। 

नोट: यदि आपको पहले पीलिया हो चुका है, तो उचित परीक्षण से पहले अपने रक्त का दान ना करें।

पीलिया के प्रकार
पीलिया के तीन मुख्य प्रकार हैं - 
  1. हेपेटोसेल्यूलर पीलिया - लिवर की बीमारी या चोट के कारण होता है। 
  2. हेमोलिटिक पीलिया - यह हेमोलिसिस (लाल रक्त कोशिकाओं का त्वरित विघटन) के कारण होता है, जिससे बिलीरुबिन ज़्यादा बनता है।
  3. ऑब्सट्रक्टिव पीलिया - पित्त नलिका में रुकावट के कारण होता है ( लिवर से पित्त को पित्ताशय और छोटी आंत तक ले जाने वाली ट्यूबों की एक प्रणाली), जो बिलीरूबिन को जिगर छोड़ने से रोकता है। 
पीलिया का औषधियों से उपचार
Piliya ka gharelu upchar

फिटकरी : फूली हुई फिटकरी चार रत्ती(1 रत्ती=0.12ग्राम) मात्रा मिश्री में मिलाकर दिन में तीन बार पानी के साथ सेवन करें।
  • 200 ग्राम दही में चुटकी भर फिटकरी को घोलकर पीने से पीलिया रोग में आराम मिल जाता है। इस प्रयोग के समय दिनभर केवल दही ही सेवन करें। इससे पीलिया रोग शीघ्र ही ठीक हो जाता है। इसके सेवन से अगर किसी को उलटी हो जाये तो उसे घबराना नहीं चाहिए और छोटे बच्चों को यह कम मात्रा में देना चाहिए।
  • सफेद फिटकरी को भूनकर पीस लें। पीलिया रोग होने पर पहले दिन फिटकरी के आधा ग्राम चूर्ण को दही में मिलाकर खाएं, दूसरे दिन इस चूर्ण की मात्रा बढ़ाकर एक ग्राम और तीसरे दिन लगभग 2 ग्राम इसी प्रकार बढ़ाते हुए सातवें दिन साढ़े 4 ग्राम चूर्ण को दही में डालकर 7 दिनों तक लगातार खाने से पीलिया रोग समाप्त हो जाता है।

सज्जीखार : 10 ग्राम सज्जीखार और 10 ग्राम संचर नमक को नीबू के रस में घोंटकर तीन दिन पीने से पीलिया रोग मिट जाता है।
  • सज्जीखार, सोडा बाई कार्ब मिलाकर मटर के दाने के बराबर गोलियाँ बना लें और इसका सेवन लगभग डेढ़(1 ½) मटर के दाने के बराबर दिन में तीन बार ठंडे पानी के साथ लेने से लाभ मिलता है।

ज्वाखार : ज्वाखार 1-1 मटर के दाने की मात्रा में और अपामार्ग की जड़ का चूर्ण आधे मटर के बराबर मिलाकर दिन में तीन बार लेने से भी इस रोग में लाभ मिलता है।
  • कल्मी सोरा और ज्वाखार मिलाकर पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से पेशाब साफ़ आने लगता है।

नीम : 10 मिलीलीटर नीम के पत्तों के रस में 10 मिलीलीटर अड़ूसा के पत्तों के रस व 10 ग्राम शहद को मिलाकर सुबह के समय पीलिया रोग में लेने से आराम पहुंचता है।
  • 200 मिलीलीटर नीम के पत्ते का रस में थोड़ी शक्कर (चीनी) को मिलाकर गर्म करें। इसे 3 दिन तक दिन में एक बार खाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • नीम के 5-6 कोमल पत्तों को पीसकर, शहद में मिलाकर सेवन करने से मूत्रविकार (पेशाब के रोग) और पेट की बीमारियों में लाभ होता है।
  • 10 मिलीलीटर नीम के पत्तों के रस में 10 ग्राम शहद को मिलाकर 5 से 6 दिन तक पीने से आराम मिलता है।
  • कड़वे नीम के पत्तों को पानी में पीसकर 250 मिलीलीटर रस को निकालकर फिर उसमें मिश्री को मिलाकर गर्म करें। इसे ठंड़ा होने पर पीने से पीलिया रोग दूर होता है।

गिलोय : गिलोय, अड़ूसा, नीम की छाल, त्रिफला, चिरायता, कुटकी को बराबर मात्रा में लेकर जौकुट करके एक कप पानी में पकाकर काढ़ा बनाएं। फिर इसे छानकर थोड़ा-सा शहद मिलाकर पी जाएं। 20 दिन तक इसका सेवन पीलिया के रोगी को कराने से आराम मिलता है।
  • गिलोय का रस एक चम्मच की मात्रा में दिन में 2 बार इस्तेमाल करने से पीलिया रोग में आराम मिलता है।
  • लगभग 10 मिलीलीटर गिलोय के रस को शहद के साथ रोजाना सुबह और शाम सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

शिलाजीत : शुद्ध शिलाजीत में केसर और मिश्री को मिलाकर बकरी के दूध के साथ सेवन करने से कफज पाण्डु (पीलिया) रोग दूर होता है।

हल्दी : 40 ग्राम दही मे 10 ग्राम हल्दी डालकर सुबह-शाम खाने से पीलिया रोग मे लाभ होता जिगर के रोगों में भी यह प्रयोग लाभदायक है।
  • 100 मिलीलीटर छाछ या मट्ठे मे 5 ग्राम हल्दी डालकर रोजाना सुबह-शाम खाने से 1 हफ्ते में ही पीलिया रोग में लाभ नजर आता है।
दारूहल्दी : दारूहल्दी के फेट या घोल में शहद को मिलाकर पीने से पीलिया रोग शान्त हो जाता है।

आंवाहल्दी : 7 ग्राम आंवाहल्दी का चूर्ण और 5 ग्राम सफेद चंदन का चूरा शहद में मिलाकर सुबह और शाम 7 दिनों तक खाने से पीलिया रोग मिट जाता है।

गन्ना : गन्ने के रस को पीलिया रोग की प्रमुख औषधि माना जाता है। जब गन्ने का मौसम न हो तो चीनी के शर्बत में नींबू डालकर पिया जा सकता है।
  • एक गिलास गन्ने के रस में 2-4 चम्मच ताजे आंवले का रस 2-3 बार रोजाना पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
  • गन्ने के टुकड़े करके रात के समय घर की छत पर ओस में रख देते हैं। सुबह मंजन करने के बाद उन्हे चूसकर रस का सेवन करें। इससे 4 दिन में ही पीलिया के रोग में बहुत अधिक लाभ होता है।

अड़ूसा : अड़ूसे के रस में कलमीशोरा डालकर पीने से मूत्र-वृद्धि होकर पीलिया रोग में लाभ होता है।

त्रिफला (हरड, बहेड़ा, आमला): आधा चम्मच त्रिफला का चूर्ण, आधा चम्मच गिलोय का रस और आधा चम्मच नीम के रस को एकसाथ मिलाकर शहद के साथ 15 दिन तक खुराक के रूप में चाटने से पीलिया में आराम मिलता है।
त्रिफला
  • त्रिफला, गिलोय, वासा, कुटकी, चिरायता और नीम की छाल को एक साथ मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण की 20 ग्राम मात्रा को लगभग 160 मिलीलीटर पानी में पका लें। जब पानी चौथाई बच जायें तो इस काढ़े में शहद मिलाकर सुबह और शाम के समय सेवन करने से पीलिया रोग नष्ट होता है।
  • 10 ग्राम त्रिफला रात में भिगो दें और उसे सुबह उसके पानी को छानकर पी लें। 

तम्बाकू : तम्बाकू का धूम्रपान करने से पीलिया रोग में शीघ्र लाभ होता है।

हरड़ : हरड़ की छाल, बहेड़े की छाल, आंवला, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, नागरमोथा, वायविडंग, चित्रक को थोड़ी-थोड़ी सी मात्रा में लेकर पीस लें। इसकी 4 खुराक तैयार करें। दिन भर में चारों खुराक शहद के साथ सेवन करें। इसी अनुपात में 15 दिनों की दवा तैयार कर लें। यह प्रसिद्ध योग है।
  • हरड़ को गाय के मूत्र में पकाकर खाने से पीलिया रोग और सूजन मिट जाती है।
  • 100 ग्राम बड़ी हरड़ के छिलके और 100 ग्राम मिश्री को मिलाकर चूर्ण बनाकर 6-6 ग्राम की खुराक के रूप में सुबह-शाम ताजे पानी के साथ खाने से पीलिया मिट जाता है।

कालीमिर्च : 7 सप्ताह तक लगातार कालीमिर्च का चूर्ण छाछ में मिलाकर पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

सत्यानाशी : सत्यानाशी की जड़ की छाल का चूर्ण लगभग एक ग्राम तक लेने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

रीठा : 15 ग्राम रीठे का छिलका और 10 ग्राम गावजवां को रात में 250 मिलीलीटर पानी में भिगों दें। सुबह उठकर ऊपर का पानी पी जाएं। 7 दिन तक यह पानी पीने से भयंकर पीलिया रोग मिट जाता है।
  • रीठे के छिलके को पीसकर रात को पानी में भिगोयें। सुबह ये पानी नाक में 3 बार दो-दो बूंद टपकाने से पीलिया के रोग में लाभ होता है।

नींबू : प्रतिदिन आंखों में 2-3 बूंद नीबू का रस डालने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।
  • 14 से 28 मिलीलीटर नींबू के फलों का रस सुबह और शाम रोगी को देने से पीलिया का रोग ठीक हो जाता है।
  • पीलिया रोग में कागजी नींबू का रस एक गिलास पानी में नित्य दो-तीन बार सेवन करना चाहिए।

मदार : मदार के 25 पत्ते और उसी मात्रा में मिश्री मिलाकर घोंट लें, फिर चने के बराबर गोलियां बना लें। 2-2 गोली दिन में 3 बार खाने से पीलिया में लाभ होगा। ध्यान रहें कि इस दौरान मिर्च और खटाई न खाएं।
  • 1 ग्राम मदार की जड़ की छाल और 12 कालीमिर्च को एकसाथ पीसकर ठंड़ाई की तरह दिन में 2 बार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।

मेंहदी : 10 ग्राम मेंहदी के पत्तों को 200 मिलीलीटर पानी में रात को भिगों दें। सुबह इस पानी को छानकर रोगी को पिला दें। इससे कुछ दिन में ही पीलिया रोग जड़ से मिट जाता है।
  • पीलिया रोग में 50 ग्राम मेंहदी को कुचलकर आधा गिलास पानी में रात को भिगो दें। सुबह इस पानी को 8-10 दिनों तक लगातार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
तोरई : कड़वी तोरई के रस की 2-3 बूंदों को नाक में डालने से नाक द्वारा पीले रंग का पानी झड़ने लगेगा और एक ही दिन में पीलिया नष्ट हो जाएगा।

पुनर्नवा : पुनर्नवा की जड़ को साफ करके छोटे-छोटे टुकड़े काट लें। उन 21 टुकड़ों की माला बनाकर रोगी के गलें में पहना दें। पीलिया ठीक होने के बाद उस माला को किसी पेड़ पर लटका दें।
  • एक तिहाई कप पुनर्नवा के रस या मकोये के रस में शहद मिलाकर दिन में 3 बार पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

अदरक : अदरक, त्रिफला और गुड़ को एकसाथ मिलाकर सेवन करने से पीलिया रोग दूर होता है।

द्रोणपुष्पी : द्रोणपुष्पी के पत्तों का रस का अंजन यानी काजल के रूप में लगाने से कामला (पीलिया) शान्त हो जाता है।
  • द्रोणपुष्पी के पत्तों का 2-2 बूंद रस आंखों में हर रोज सुबह-शाम कुछ समय तक डालते रहने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

पित्तपापड़े : पित्तपापड़े के फांट या घोल को पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।

मकोय : मकोय के काढ़े में हल्दी के चूर्ण को डालकर पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • मकोय के 40-60 मिलीलीटर काढ़े में हल्दी का 2 से 5 ग्राम चूर्ण डालकर पीने से पीलिया रोग मे लाभ मिलता है।
  • मकोय के 4 चम्मच रस को हल्का गुनगुना करके 7 दिनों तक पीने से पीलिया रोग दूर होता है।

कपास : 8 ग्राम कपास की मिंगी को रात को पानी में भिगो दें। सुबह इसे घोटकर और छानकर इसमें थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर पीने से पीलिया दूर हो जाता है।

आलू : आलू या उसके पत्तों का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से पीलिया दूर हो जाता है।

बकरी का दूध : बकरी के दूध के साथ समुद्रफेन को घिसकर पीने से पीलिया में लाभ होता है।

गाय का दूध : 250 मिलीलीटर गाय के दूध में 2 ग्राम सोंठ मिलाकर सुबह-शाम पीने से पीलिया नष्ट हो जाता है। इसके सेवन के दौरान भोजन में केवल दूध-रोटी खायें।
  • क्रीम निकाला हुआ दूध पीना पीलिया रोग में लाभप्रद होता है।

पोदीना : पोदीना (Mint) के अधिक सेवन से पीलिया रोग में लाभ होता है। 
  • पोदीने की चटनी रोजाना रोटी के साथ खाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • पोदीने के रस को शहद के साथ 15 दिनों तक सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

बबूल : बबूल के फूलों के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना खाने से पीलिया रोग मिट जाता है।

भांगरा : भांगरे के रस में कालीमिर्च मिलाकर दही के साथ खाने से पीलिया रोग मिट जाता है।

बेल : बेल के पत्तों के रस में कालीमिर्च का चूर्ण डालकर पीने से पीलिया रोग शान्त हो जाता है।
  • बेल के कोमल पत्तों के 10 से 30 मिलीलीटर रस में आधा ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।

जामुन : जामुन के रस में जितना सम्भव हो, उतना सेंधानमक डालकर एक मजबूत कार्क की शीशी में भरकर 40 दिन तक रखा रहने दें। इसके बाद आधा चम्मच की मात्रा में रोगी को सेवन कराने से पीलिया में लाभ होगा।

निशोत : 10-10 ग्राम निशोत, सौंठ, कालीमिर्च, पीपल, वायविडंग, दारूहल्दी, चित्रक, कूट, चव्य, त्रिफला, इन्द्रजौ, कुटकी, पीपलामूल, नागरमोथा, काकडासिंगी, अजवाइन, कायफल, पुनर्नवा की जड़ को कूटकर और छानकर 150 ग्राम खांड़ में मिलाकर डेढ किलो पानी में पकाएं। इस पानी के गाढा होने पर या शहद मिलाकर मटर के दाने के बराबर गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। यह एक गोली सुबह खाली पेट और 1 गोली शाम को पानी से 15 दिन तक लें। यह गोली खांसी, दमा, टी.बी. अफारा, बवासीर, संग्रहणी, खून जाना, पेट के कीड़ो और पीलिया में लाभदायक है।

मूली : 100 मिलीलीटर मूली के पत्तों के रस में 20 ग्राम चीनी को मिलाकर खाली पेट 15 से 20 दिन पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • 25 मिलीलीटर मूली के रस में लगभग आधा ग्राम की मात्रा में पिसा नौसादर को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से पीलिया के रोग में लाभ होता है।
  • 1 चम्मच कच्ची मूली के रस में एक चुटकी जवाखार मिलाकर सेवन करें। कुछ दिनों तक सुबह, दोपहर और शाम को लगातार यह रस पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
  • 2 चम्मच मूली के पत्तों के रस में थोड़ी-सी मिश्री को मिलाकर रोजाना 8-10 दिन तक सेवन करने से पीलिया के रोग में आराम मिलता है।
  • कच्ची मूली रोजाना सुबह उठते ही खाते रहने से कुछ दिनों में पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
  • 125 मिलीलीटर मूली के पत्तों के रस में 30 ग्राम चीनी मिलाकर और छानकर सुबह के समय पीने से हर प्रकार के पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • मूली की सब्जी का सेवन करने से सभी तरह के पीलिया रोग मिट जाते हैं।
  • मूली में विटामिन `सी´, `लौह´, `कैल्शियम´, `सोडियम´, `मैग्नेशियम´ और क्लोरीन आदि कई खनिज लवण होते हैं, जो जिगर की क्रिया को ठीक करते हैं इसलिए पीलिया रोग में मूली का रस 100 से 150 मिलीलीटर की मात्रा में गुड़ के साथ दिन में 3 से 4 बार पीने से लाभ होता है।
  • 10 से 15 मिलीलीटर मूली के रस को 1 उबाल आने तक पकाएं। बाद में इसे उतारकर इसमें 25 ग्राम खांड या मिश्री मिलाकर पिलाएं इसके साथ ही मूली और मूली का साग खाते रहने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
  • सिरके में बने मूली के अचार का सेवन करने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
  • मूली के ताजे पत्तों को पानी के साथ पीसकर उबाल लें। उबालने पर इसमें दूध की तरह झाग ऊपर आ जाता है। इसको छानकर दिन में 3 बार पीने से पीलिया रोग मिट जाता हैं।
  • मूली के पत्तों के साथ उसका रस निकाल लें। दिन में 3 बार इस रस को 20-20 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • 70 मिलीलीटर मूली के रस में 40 ग्राम शक्कर (चीनी) मिलाकर पीने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
  • 60 मिलीलीटर मूली के पत्ते का रस व 15 ग्राम खाड़ को एकसाथ मिलाकर पीने से पीलिया रोग कुछ ही समय में समाप्त हो जाता है।
  • मूली के पत्तों के 100 मिलीलीटर रस में शर्करा मिलाकर प्रात:काल पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है। सुबह मूली खाने या उसका रस पीने से भी पीलिया रोग नष्ट होता है। बिच्छू के डंक मारने पर मूली का रस लगाने और मूली का रस पिलाने से विष का प्रभाव कम होता है तथा जलन और पीड़ा भी नष्ट होती है।
  • गन्ने के रस के साथ मूली के रस को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है। मूली के पत्तों की बिना चिकनाई वाली भुजिया खानी चाहिए।
  • 100 मिलीलीटर मूली के रस में 20 ग्राम शक्कर मिलाकर पीने से पीलिया रोग मिट जाता है। रोगी को खाने में मूली, संतरा, पपीता, खरबूज, अंगूर और गन्ना आदि दे सकते हैं।

बंदाल : बंदाल को रात में पानी में भिगो दें। सुबह इस पानी को छान करके नाक में 2-2 बूंद टपकाने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।

सुहागा : भूना सुहागा, भुनी फिटकरी, कलमीशोरा और नौसादर को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। इसे 1-1 ग्राम की मात्रा में पानी से भोजन के बाद दोनों समय लेने से पीलिया रोग में आराम मिलता है।

कलमीशोरा : कलमीशोरा और जवाखार को एक-एक चम्मच की मात्रा में पानी में मिलाकर दिन में 3 बार लेने से पीलिया के रोग में लाभ मिलता है।

जौ : जौ का सत्तू खाकर ऊपर से एक गिलास गन्ने के रस को रोजाना 4-5 दिनों तक पीने से पीलिया कम हो जाता है।

बथुआ : 100 ग्राम बथुए के बीजों को कूट-पीसकर और छानकर दिन में 1 बार 15-16 दिन तक आधा चम्मच चूर्ण के रूप में पानी के साथ सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • कुटकी और चिरैंता को समान मात्रा में कूटकर 10 ग्राम की मात्रा को पानी में भिगो दें और फिर छानकर उसमे मिश्री मिलाकर सेवन करें।
भोजन तथा परहेज (Piliya me Parhej)
आहार
जहाँ तक हो सके पीलिया के मरीज को हल्का भोजन और कम मात्रा में करना चाहिए ताकि वह आसानी से पच सके अन्न में गेहूँ, चावल, जौ, मूंग, मसूर, अरहर का सेवन कर सकते है। सब्जियों में साग(पालक), कच्ची मूली, तोरई, पेठा, और कच्चे केले का सेवन लाभकारी होता है। इसके अतिरिक्त नारियल का पानी, जौ का पानी, गन्ने का रस, नमक-जीरा डाला हुआ पतला छाछ आदि का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए। मिश्री और भुना हुआ चना भी इस रोग में बहुत लाभप्रद है।
  • पूर्ण विश्राम, फलाहार, रसहार, तरल पदार्थों जैसे जूस का सेवन, चोकर समेट आटे की रोटी, पुराने चावल का भात, नींबू-पानी, ताजे एवं पके फल, अंजीर, किशमिश, गन्ने का रस, जौ-चना के सत्तू, छाछ, मसूर, मूंग की दाल, केला, परवल, बैगन की सब्जी, गद्पुरैना की सब्जी, क्रीम निकला दूध, छेने का पानी, मूली, खीरा आदि खाना चाहिए।
  • पीलिया के रोगी को जौ, गेहूं तथा चने की रोटी, खिचड़ी, पुराने चावल, हरी पत्तियों के शाक, मूंग की दाल, नमक मिलाकर मट्ठा या छाछ आदि देना चाहिए।
अपथ्य (परहेज)
राई आदि अत्यन्त तीक्ष्ण पदार्थों का सेवन आदि कारणों से वात, पत्ति और कफ ये तीनों दोष कुपित होकर पीलिया रोग को जन्म देते हैं।
  • लाल मिर्च, तेल, घी के पदार्थ, गरम मसाले की चीजें, उड़द और मैदे के भोज्य पदार्थ तथा जलन उत्त्पन्न करने वाली चीजें बिलकुल नहीं खानी चाहिए।
  • धुम्रपान, शराब, मछली, मांस, राई, हिंग, तिल, चाय, गुड़ बिलकुल नहीं खानी चाहिए।
  • अधिक स्त्री-प्रसंग (संभोग) नहीं करना चाहिए।
  • खटाई, गर्म तथा चटपटे और पित्त को बढ़ाने वाले पदार्थ अधिक नहीं खाने चाहिए। 
  • दिन में अधिक नहीं सोना चाहिए।
  • खून की कमी तथा वायरस के संक्रमण के कारण।
  • खट्टे पदार्थों का सेवन, और गरम भोज्य पदार्थ नहीं खाना चाहिए।
  • पेट भर कर खाना, ठंड़े पानी से स्नान, लालमिर्च, मसाले, तली हुई चीजें, मांस आदि से दूर रहना चाहिए।
  • रोगी को भोजन बिना हल्दी का देना चाहिए।
  • रोगी को पूर्ण विश्राम करने का निर्देश दें। इसके साथ ही रोगी को मानसिक कष्ट पहुंचाने वाली बातें नहीं करनी चाहिए।
  • घी, तेल, मछली, मांस, मिर्च, मसाला एवं चर्बीयुक्त चीजों से सदा सावधान रहें।
  • मैदे की बनी चीजें, खटाई, उड़द एवं खेसाड़ी की दाल, सेम, सरसों युक्त गरिष्ट भोजन न खायें।
  • यदि पीलिया रोग में नमक न खायें तो अच्छा रहता है।

निवास स्थान
पीलिया के रोगी को प्रकाशयुक्त स्वच्छ हवादार मकान में रहना चाहिए। उसका निवास स्थान शीतल होना चाहिए जहाँ धुप न आये। उसे सुबह शाम हरी घास पर टहलना चाहिए और बागीचे की खुली हवा में बैठना लाभदायी होता है, बिस्तर भी साफ़ सुथरा रखना चाहिए।








1 comment:

  1. Apart from home remedies you also consider using herbal remedies for jaundice. There is no known side effect from this treatment.

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