Saturday 13 January 2018

पायरिया (Pyorrhea) के प्रमुख कारण और उपाय

पायरिया रोग के कारण और उपाय


आज सभी जानते है, की जन्म से लेकर मृत्यु तक हमारे जीवन में दांत एक विशेष महत्व रखते है। दांतो के महत्व के समबन्ध में इतना लिखना पर्याप्त होगा की हमारा आहार दांतो से चबाने के कारन सुपाच्य बन जाता है। जिससे हाजमा रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थी, मज्जा, और शुक आदि धातुओं को क्रमशः बनाने में समर्थ होता है। इसके विपरीत यदि आहार का पाचन न होगा तो शरीर दुर्बल हो जायेगा। इतना ही नही दांतो की यह भी विशेषता है कि दन्तविहीन युवा व्यक्ति भी वृध्द दीखोगे और जो पूर्ण स्वस्थ दांतोवाला होगा वह वृध्द भी कम आयु वाला प्रतीत होगा।
             पायरिया दांतों का रोग है, जो मसूढ़ों को भी प्रभावित करता है। इस राग से ग्रस्त होने पर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इससे बचने के लिए इसके कारण और लक्षणों को जानना भी बेहद जरूरी है।

यहाँ हम दातो के उन अनेक रोगों में से एक मुख्य रोग - पायरिया है, जिसे आयुर्वेद में पूतिदन्त भी कहते है। 

पायरिया रोग कारण

यह रोग दांतो की रक्षा के उपाय (दातून, मंजन) न करने के कारण होता है। ठण्डे एवं गरम पदार्थो का विषम संयोग भी दांतो की जड़ो को व मांस को दूषित करके रोग पैदा कर देता है। कुल्ला भली-भांति न करने से आहार के कण दांतो के बीच में रूककर सड़न पैदा कर देता है, और मसूड़ों के मांस को गलाने लगता है।
लि‍वर की खराबी के कारण रक्त में अम्लता बढ़ जाती है। दूषित अम्लीय रक्त के कारण दांत पायरिया से प्रभावित हो जाते हैं।
     मांसाहार तथा अन्य गरिष्ठ भोज्य पदार्थों का सेवन, पान, गुटखा, तम्बाकू आदि पदार्थों का अत्यधिक मात्रा में सेवन, नाक के बजाए मुंह श्वास लेने का अभ्यास, भोजन को ठीक से चबाकर न खाना, अजीर्ण, कब्ज आदि पायरिया होने के प्रमुख कारण हैं। यही पायरिया रोग के मुख्य कारण है।

पायरिया रोग लक्षण

दांतो में दर्द, तेजी से उठना, मसूड़ो का फूल जाना, उन्हें दबाने से मवाद या खून निकलना, ठण्डी व गरम वस्तु खाने में असमर्थता हो, मुंह में दुर्गन्ध आना एवं मन की अप्रसन्नता होना, भोजन का न पचना और खून ठीक प्रकार से न बनना आदि इस रोग के मुख्य लक्षण हैं।
                       पायरिया से ग्रस्त होने पर दांत ढीले होकर हिलने लग जाते हैं। मसूढ़ों से मवाद और रक्त निकलने लगता है। दांतों पर कड़ी पपड़ियां जम जाती हैं। मुंह से दुर्गंध आने लगती है। उचित चिकित्सा न करने पर दांत कमजोर होकर गिर सकते हैं।

पायरिया रोग से बचाव 

इस भयंकर बिमारी से बचने के लिए प्रतिदिन सुबह दाँतों को साफ़ करना अति आवश्यक है।
  • भोजन करने के बाद मध्यमा अंगुली से अच्छे मंजन द्वारा दांतों को साफ करें। 
  • दातुन करने के लिए नीम, बबूल, आम, अर्जुन, करंज, खैर, श्रेष्ठ रहती है। ज्यादातर नीम या बबूल की दातुन खूब चबाकर उससे ब्रश बनाकर दांत साफ करने चाहिए। लेकिन लिसोढ़, रीठा, बहेड़ा, संभालू, पीपल और इमली आदि की दातुन का प्रयोग कभी नहीं करना चाहिए।
  • मंजन के रूप में किसी भी प्रकार की औषधियों के चूर्ण उपयोग में लाये जा सकते हैं। आधुनिक प्रणाली में पेस्ट का अधिक प्रयोग होता है। यह भी यदि अच्छे ब्रश से करें तो लाभकारी होगा
  • सरसों के तेल में नमक मिलाकर अंगुली से दांतों को इस प्रकार मलें कि मसूढ़ों की अच्‍छी तरह मालिश हो जाए।
  • शौच या लघुशंका के समय दांतों को अच्छी तरह से भींचकर बैठें। ऐसा करने से दांत सदैव स्वस्थ रहते हैं।
  • रात को सोते समय 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण जल के साथ तथा दिन में 2 बार अविपत्तिकर चूर्ण का सेवन करें।
  • जामुन की छाल के काढ़े से दिन में कई बार कुल्ले करें।
  • नीम का तेल मसूढ़ों पर अंगुली से लगाकर कुछ मिनट रहने दें, फिर पानी से दांत साफ कर लें।
  • फिटकरी को भूनकर पीस लें। इसका मंजन पायरिया में लाभप्रद है। फिटकरी के पानी का कुल्ला करें।
  • भोजन के बाद दांतों में फंसे रह गए अन्न के कण को नीम आदि की दंतखोदनी द्वारा निकाल लें।
  • सुबह-शाम पानी में नींबू का रस निचोड़कर पिएं।
  • पालक, गाजर और गेहूं के जवारे का रस नित्य प्रति पिएं। यह अपने आप में स्वत: औ‍षधि का कार्य करता है।
  • जटामांसी 10 ग्राम, नीला थोथा 10 ग्राम, कालीमिर्च 5 ग्राम, लौंग 2 ग्राम, अजवाइन 2 ग्राम, अदरक सूखी 5 ग्राम, कपूर 1 ग्राम, सेंधा नमक 5 ग्राम तथा गेरू 10 ग्राम- इन वस्तुओं का समान मात्रा में महीन चूर्ण बनाकर रख लें। इससे दिन में 3 बार अंगुली से रगड़-रगड़कर देर तक अच्छी तरह से मंजन करें। यह मंजन पायरिया की अनुभूत औषधि है।
  • अजीर्ण और कब्ज न हो- यह ध्यान रखते हुए हल्का सुपाच्य भोजन लें। रात को सोते समय हर्रे खाकर गरम दूध पीयें। सुबह 2 ग्राम सूखे आंवले का चूर्ण पानी के साथ लें। मिर्च-मसाला, चाय-कॉफी का प्रयोग न करें।
  • बादाम या अखरोट के छिलके जलाकर 80 ग्राम, सोना गेरू 60 ग्राम, समुद्री झाग 60 ग्राम, फिटकरी फूली हुई 40 ग्राम, दालचीनी 10 ग्राम, नीला थोथा फुला हुआ 10 ग्राम, कपूर 10 ग्राम आदि का बारीक चूर्ण बनाकर उसमे आवश्यकतानुसार सेंधा नमक मिला लें और इसका प्रयोग मंजन के रूप में करें।

0 comments:

Post a Comment